उपदेश क्युं ?
उपदेश सदा स्वान्त: सुखाय है | कारण है , आनन्द - करुणा साथ बनती है , हमने जो भीतरी आनन्द रस पाया है , वो और सभी को मिलें यें करुणा है | करुणा पल्लवित होती है ... कोशिश की जाती है | किसी को परमात्मा के नाम का छिंटा भी लग जायें तो आनन्द और बढता है | ... कोई ग्रहण करें ना करें एक संतुष्टि होती है | हाँ , हमने बताया कि बस यें रस पीने योग्य है , प्रेम रस सदा बाँट कर पिया जाता है | और उद्धार तो व्यक्ति केवल अपना ही कर सकता है ... जय जय युगल कृपा |
चित्र श्री हित अम्बरिष जी का है |
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