Ek athah pyasa ... अथाह प्यासा

सागर भी है .
प्यास भी है
प्यासा भी है .
उफ और आह
दोनों ही है ...
कमी है तो मिलन की
कोशिश है तो छुने की
हद है यूं सताने की
कब आओगें आप
ना जाने ...
बस आ ही जाना
लोग तुम्हें बेवफ़ा कहें
उससे पहले आ जाना
ना पाने का दर्द कम नहीं
तेरे बेवफ़ा होने पर तो
जन्म - जन्म मरा ही हो
जाऊगाँ ...
आस है मेरी निभाना तुम्हें है
प्यास है मेरी , पिलाना तुम्हें है
एक तेरी ऊँचाई
एक औक़ात मेरी
फुंक में उड जाऊं
कितनी क्षमता मेरी ...
बिंदु को सिंधु की तलाश
एक चकोर को
याद चाँद की आई
उफ ! अपनी ही सांसों
ने दूरी बढाई ...
मेरी एक ही तमन्ना ने
मुसिबत मेरे हुज़ुर आपकी
बढाई ...
कुछ भी हो ...
नहीं मैं लायक कि
निगह भी डाल दो
पर आजाओ साँवरें
दूजी आस ही ना लगाई
...
तेरी असीमता की कल्पना
मुझे सुखा कर और छोटा
कर रही है ...
प्यासा ही फना होना था
तो कुद़रत ने जरुरत ही
युं मेरे होने की क्युं उठाई ...
एक अथाह प्यासा ...
सत्यजीत !!

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