पिया जी
सत्यजीत तृषित: आपकी प्यास में बावरी हूई पिया जी
दर्शन पाने को सांसे अँधड सी हूई पिया जी
नैन बह बह कर आँखें मिट्टी हूई पिया जी
बिन कहे ही सुन लो ना दिल की लगी पिया जी
सत्यजीत तृषित: आप सांसों को पढते तो अच्छा होता
आँखें भी कैसे खुले जब आप सामने है
आप वो सब सुनते जो ना कहा तो अच्छा होता
अब कैसे कहूं कि दिल हसरते रब पाले है तृषित
सत्यजीत तृषित: तेरे लिये रोने से सिखा
कि मुहब्बत जब दरिया बनती है
तो तालियों सा शोर वाज़िब है
सत्यजीत तृषित: तुम जो जी रहे हो मुझे
अपनी निगाहों से किस तरह पी रहे हो मुझे
मैं उधड रही हूं बनी थी जद्दोजहद से
लो समेट लो और उडा लो अपने दिल की डोर से
घडी दो घडी सवाल हटा लो साथियों
देख ही लो पिया के नैना टकरा रहे है साथियों
व़क़्त हुआ है अभी उनके आने का
दिल में जो आज है दर्द सो दवा लगाने का
नैनों के संग ने दिल को बिगाड दिया
कल तक आँखें ही रोती थी
अब दिल के आंसु कौन पुछे
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