शायरी ऑफ तृषित


आपकी यादो का साया बरकार रहे
हम रहे ना रहे चाहते बेशुमार रहे ...

हसरतें हम बहाया नहीं करते
यूं तो बांहों को भी बाँधा नहीं करते

छु लेने पर भी प्यास कहाँ मिटती है
दहकती बर्फ़ में आग कहाँ पिघलती है

सिसकियाँ रुकती है जहाँ तस्वीर तेरी बनती है
तस्वीर तेरी हक़ीकत रुह फसाना लगती है

हाँ सच है बेताब तुम भी हो
गर खामोश मैं हूँ तब तूम ही हो

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