भगवत् लालसा में जिया गया संसार भी भगवत् प्राप्ति का हेतु

भगवत् लालसा में जिया गया संसार भी भगवत् प्राप्ति का हेतु
और
भोग लालसा में वैराग्य स्थिति भी जगत का हेतु
आप क्या करते हो इससे अधिक महत्व है आप किस हेतु करते हो ,
हेतु संसार रहता , फिर भजन करो या व्यापार ।और हेतु भगवान है तब नित्य जीवन ही भजन है , सर्वस्व भजन है , जुलाहा होना भी तब भजन है ।
अतः भावना भगवत् हेतु हो , कर्म वहीँ हो जो प्राप्त हो गया है , उसका उद्देश्य भगवान की प्रसन्नता रहे ।
आज व्यापार वृद्धि हेतु भागवत आयोजन होते है , संकल्प के मूल में केवल भगवत् प्रीति की भावना रहें , अन्यथा वह भी भीतर ही रहे व्यक्त न हो , अव्यक्त पूजन निराकार को सरलता से साकार करती है ।

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