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Showing posts from August, 2016

चन्दन सेवा पद , तृषित

भाव सिंधु माही तरत डूबत,कियै रही सखी चंदन कौ सेवा। य़ुगल करूणा हिय उमडी आवै,निज भाग पर वारि जावै। घिसत चंदन देखत जबहि,प्रिया सेवा लोभी इत आवै। मधुर मधुर बातन सो सखी कौ,सेवा आ...

श्री जी चित्र लीला पद

कुंजन माहि तले तरूवर छाँह,श्यामा कछु औंधी सी बैठ्यी। बाट देखत देखत मोहन कौ,चित्र बनाय मग्न अतिहि भयी। टूटे न नेक ध्यान चित्र सो,सखिया मंद मंद हसिहि। चकित भयी देख जे चित्रण,...

मेरी साँसों को जो महका रही है

मेरी साँसों को जो महका रही है ये पहले प्यार की खुशबू तेरी साँसों से शायद आ रही है शुरू ये सिलसिला तो उसी दिन से हुआ था अचानक तूने जिस दिन मुझे यूँ ही छुआ था लहर जागी जो उस पल तनब...

पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल

पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है जाने ना जाने, गुल ही ना जाने, बाग़ तो सारा जाने है कोई किसी को चाहे, तो क्यों गुनाह समझते है लोग कोई किसी की खातिर तड़पे अगर तो हँसते हैं ल...

पत्थरों का इश्क़ , तृषित

उसके इश्क़ की खुश्बू में उतर जाओ और नज़र उसकी ओर कर जीवन समीर बह जाने दो । भीतर उसकी खुशबु उतरेगी उसे सूंघ कर भी छुओ नही , प्यास बढ़ेगी । उनकी मोहब्बत का एक कतरा जड़ हो जाने को बहुत ह...

देह वृन्दावन हो , तृषित

वृन्दावन । यह देह ही बाधक न वृंदावन की । इसे ही वृंदावन होना होगा अब । इसकी समूल सत्ता का कारण यह मन और इस मन का कारण रूप । और रूप का सर्व-उत्तम कारण । निकुँज विलासी युगल । इसे उस ...

उत्सव पूर्व असहयोग में महा सहयोग युगल का

कीर्तन सत्यजीत

1 जय जय श्यामाश्याम हमारे जय जय लाडिली लाल प्यारे लाडिली लाल हमारे युगल सरकार हमारे 2 रसिली श्यामा सरकार मेरी स्वामिनी जु प्यारी श्याम मनमोहिनी रँगीली राधे जु 3 मुख से बोल...

अबोध और शरणागति , तृषित

अबोध अपनत्व और अनन्यता जब तक शिशु में रही , उसकी स्थिति योगियों , प्रेमियों सी रही । साधक नहीँ सिद्ध अवस्था । आत्मा भी , देह भी पर तब कारण देह का विकास नहीँ होने से दिव्यतम प्रका...

जन्मोत्सव का लेख , तृषित

जयजय श्यामाश्याम ।  जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई जी । आप सभी हरि प्रिय जनोँ से तृषावर्धन की आशा में एक तृषित जीव । उत्सव रस में बाधा न पड़े अतः किसी तरह की बात नही करने का ही मन हो...