मोरी राधा जु तृषित

धन आराधन भजन रस सर्व धर्म मोरी राधा जु  ।
भाव वर्षिणी , प्रीति प्रदायिनी , रसतृषा विकासिनी मोरी राधा जु ।

विचरत लाडिली सखियन संग विपिन वन ...
खोजत फिरत रसिकराज ऐसो मधुर माधव धन  ।

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