आसान नही तुम बिन , तुम संग तो पर्वत चढ़ जाऊं

46000 लोग , नो रेसपोंस । कोई बेलेंस  नही आया । देते लेते सब है , पर ऐसे नही , सैकडो तो जयपुर के ही होंगे । पर कोई नहीँ तैयार हुआ , इससे संसार के लिये सबक रखो , 46000 लोग टाइम पास हेतु । बस । निष्काम सेवा हो हमारी बस । यह हजारो लाखो लोग कभी काम नही करेगे , अनाथ को हरि का सहारा बस । हाँ कल हज़ारो लाखो संग भी होंगे तो किसी और कारण से , आप तो जानते हो आज कल लोग गुरु नही सेलिब्रिटी खोजते है ।
अब जैसे मेरे जै जै भजन के पक्के है , सखी है  , पर जगत नही जानता तो लोगों को साधारण बात लगती है , अगर कोई प्रसिद्ध प्रवक्ता होते तो बड़ी बात लगती जबकि जै जै को जो रस प्राप्त है वह बहुत गहरा है , उनकी अन्तः व्याकुलता सदा आंतरिक है , कभी विशेष कृपा पात्र के समक्ष ही वह बह जाते है , अधिक युगल वार्ता से मूर्छित तक हो जाते है , बड़े अनमने से लौकिक धर्म में है , और गहन मन से श्यामा जु संग है । नित्य संग ।
अतः हम आज और भविष्य में जो भी उत्सव करेंगे वह सब युगल अर्पण युगल द्वारा ही ।
संसार निष्काम होता आज अवश्य संग होता , सकाम है अतः फिर कभी संग होगा , उस संग में असंग रहना है क्योंकि नित्य संगी श्यामाश्याम है । मुझे उत्सव की इस रुपरेखा से जगत का सत्य अपने भीतर बाहर सिद्ध करना है , व्यवस्थाएं तो सदा की भाँति वहीँ करेंगे जिनकी लाडिली जु का उत्सव है और जो अपार वैभव के अधीश्वर बने हुये है श्री जु कृपा से ।
यह उत्सव अगर मुझे अनुतीर्ण करता है तो भी इसमें मेरा हित होगा , लौकिक यह कुछ लोगोँ को कष्ट देगा , पर उसमें हित यह होगा कि युगल मुझे दूर नही कर सकते और सम्भवतः इससे दुरी हो जावें , यह व्यास गद्दी पर वही बिराजे और मैं देह में तत्क्षण न रहूँ और प्रेम मयी सेवा से सब हो सकें तब यह अग्निपरीक्षा खरी उतरेगी । जब जगत सन्मुख हो और युगल ही वहां चाहिये हो । युगल में जगत देखना सरल है , जगत में युगल दिखना ही उनका प्रेम , उनकी कृपा से रस । अगर वह तत्क्षण दूर हुये तो स्वतः मुझसे कुछ न होगा पर विरह प्रकट करने हेतु वह यह करेगें और उन बिन मेरे पास शब्द नही । मेरा स्वाध्याय उनकी प्रीत है । जो करेंगे जैसा करेंगे तैयार रहना है वस्तु हूँ उनकी , उनका रहना है ।

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