पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल

पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है
जाने ना जाने, गुल ही ना जाने, बाग़ तो सारा जाने है

कोई किसी को चाहे, तो क्यों गुनाह समझते है लोग
कोई किसी की खातिर तड़पे अगर तो हँसते हैं लोग
बेगाना आलम है सारा, यहाँ तो कोई हमारा
दर्द नहीं पहचाने है

चाहत के गुल खिलेंगे, चलती रहें हजार आँधिया
हम तो इसी चमन में बांधेगे प्यार का आशियां
ये दुनिया बिजली गिराए, ये दुनिया काँटे बिछाए
इश्क मगर कब माने है

दिखलायेंगे जहां को, कुछ दिन जो जिंदगानी है और
कैसे ना हम मिलेंगे, हमने भी दिल में ठानी है और
अभी मतवाले दिलों की, मोहब्बत वाले दिलों की
बात कोई क्या जाने है

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