काश कभी इश्क हो जाएं आपसे
काश कभी इश्क हो जाएं आपसे । हो नही रहा , वजह आप की बेपनाह मेहरबानियां ।
हे माधो , तुम ही करोगे , करते रहोंगे तो हम कब करेंगे ।
इस बार तुम करो , खूब करो , इतना करो कि रोम रोम मेरे पिया की खुशबूं से भीगी रहे । कतरा कतरा आपका इश्क ही मेरी श्वांस बना रहे । याद रहे , भूल जाऊं कौन हूँ , क्या हूँ , पिया के संग के पल न भूलूँ ।
कभी मैं भी करूँ तुमसे मुहब्बत इसी आरज़ू में तेरी बन्दगी हो । तुम्हें इश्क है , बेपनाह इश्क ।
जानू ना तेरे सिवा कोई बात तेरी याद में ...
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