उनकी सरलता बहुत आंदोलित करती है , तृषित
मुझे एक बात बार बार आंदोलित करती । बहुत
... कभी हृदय मुरझाया हो और यह बात स्मरण हो आवे तो कमलवत स्पंदन से हृदय बिछ जाता लाडली लाल के लिये ।
बहुत छोटी सी बात है यह , परंतु मेरे लिये यह भाव निधि है ...
बात यह है कि मेरे प्यारे श्यामाश्याम बहुत सरल है , बिलकुल सहज ।
बस । दिल से उनकी सहजता का जितना स्पर्श और दर्शन होता उतना ही रोम-रोम नाचने दौड़ने लगता । काश ...कभी रोम-रोम देह की चिंता भूल उमड़ घुमड़ कर पृथक-पृथक नाच उठे । सच मेरे लिये उनकी सरलता सबसे बड़ी बात है ।
सर्व गुण सम्पन्न होते , अतिसुन्दर होते पर इतने सरल नही होते तो कहाँ बस की बात रहती । परन्तु असीम सौन्दर्य लावण्य निधि बड़े ही सरल है । इतने सरल की उनकी सरलता प्राण ही निकाल देती है । जीवन ने कभी अपेक्षा ही ना की थी कि कोई सरल सा भी कहीं कुछ मिले पर इनमें वही सरस् सरलता प्रतिपल गहन हो रही ,ऐसी सरलता कि चराचर जगत की गति स्थिति ही बदल जाएं , हम सभी जीवन मे बार-बार सहजता के विपरीत होते है परन्तु यह नित्य सरल-सहज... बहुत बार प्रेमी भक्तों से बात होती है तो सब अपने को पापी-मलिन आदि कहते , परन्तु हम सम्पूर्ण पाप-मलिनता का कुण्ड-सरोवर हो जावें तो भी वह मलिनता स्मरण रहती कहाँ इनके सरलत्व पर ... स्मरण यह रहता कि हम अति कठोर यह स्मरण उत्तम ही है परन्तु स्मरण यह रहें हम इतने कठोर और वें कितने ...कितने सरल ...अहा अति सरल । उनकी सरलता की स्मृतियाँ ही चेतना को सरल धरा से अभिन्न कर देती है , फिर उनकी सरलताओं के अनन्त स्मरणों में बार बार डूबता रहता है , मेरे प्राण श्रीयुगल श्यामाश्याम सरलता की सारनिधि अति विशेष सरलतम हियनिधि है । इतनी सरलता से अभिन्न होने का कोई साधन कोई विकल्प नहीं बस उनकी सरलताओं में गोता लगा रह्वे इस चित्त का । उनके सरस् चेतन स्वभाव की स्मृति होने पर हमारे जड़ भाव-स्वभाव और स्वरूप कब छूटते है पता भी नहीं चलता । इतनी सरलता है इनमें कि हम सभी जीव कलम होवे और धरती पृष्ठ हो जावें तब भी सत्य में इनकी सरलता का स्पर्श भी ना होगा । घनिभूत सरल है मेरे श्रीयुगलप्राण इसलिये रसिक भाव मे इन्हें फूल ही कहते है *तृषित* । मेरे श्रीश्यामाश्याम की सरल सरसता सहजता बढ़ फूल सकती है , उनसे भूलते नहीं बनती है ।
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