किशोरी रस पद , तृषित

निरखत सुअंगिनी मनोहर सरस अधरन
पिबत रूप पयोनिधि करहुं नयन सु-दर्शन
निरत तृषित दृग निरख सरस हर्षिणी चितवन
पिबत नयन सु नित पुलकित ह्वै मधुर अधरन

श्यामा जबहि दृष्टि करि श्याम अधरन पे
बिसर तबहि पिय सुख वास करि द्वय कमल दल पे
--- तृषित

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संगिनी पिय रँगिनी

कुमुदिनी सी चलत श्यामा , मनहर मन फुलवारी को
रँगी यूँ , द्वय रूप सज्यो एकहि सरित रसझारी को
अति उत्साहिनी चलत ह्वै अनुगामिनी होय नवल को
बिन सजनी श्याम अधूरे, अलिन की झाँकी पुरन भई जो संग सुहागिन को
नित नित निरखुं , रहूँ छिन-छिन तृषित , देखन सुरस दुल्हिनी-ललित दूल्हा जु को  ।
--- तृषित

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