ख़ालिस तबस्सुमियत की बन्दग़ी होती है - तृषित

ख़ालिस तबस्सुमियत की बन्दग़ी होती है
वरना ख़ुदा को कौन पूछता है

ख़िज़ाना ख़ुत्बा का लबालब सब और है
वरना ख़ुद को भी कौन पूछता है

ख़ियाबां के दामन में दानिश का दख़ल भी ख़ूब होता है
वरना क़ुदरत के अज़ाब को कौन पूछता है

गुमनाम से गोया होना गशे जज़्ब किसका नहीँ है
वरना जुम्बिश तृषित की कौन पूछता है
-- सत्यजीत तृषित --

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यानि के --

ख़ालिस= शुद्ध, असल
तबस्सुमियत - मुस्कुराहट
बन्दिगी= श्रद्धा, पूजा, सेवा
ख़िज़ाना = धन संग्रह, कोष
ख़ुत्बा= भाषण, धर्मोपदेश
ख़ियाबां= पुष्पवाटिका, फूलों की क्यारी
दामन= आंचल, किनारा, गोद,
दख़ल= प्रवेश करना, पहुंच
दानिश= ज्ञान, विज्ञान
क़ुदरत= शक्ति, सृष्टि, प्रकृति, जगत
अज़ाब= पीड़ा, सन्ताप
गोया= वाग्मी, सुवक्ता,
गुमनाम= नामहीन, अज्ञात, अविदित,
गश़= नशे में उन्मत्त
जज़्ब= आकर्षण, लोभ, मोह
जुम्बिश= हरकत, गति

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