जीवन पथ आकाश , तृषित

जीवन पथ तैयार नहीँ
वह बन रहा जहाँ तुम चल रहे
जहाँ बैठे वहीँ खो गया
फिर क़दम गिरा तो पथ पर ही
जीवन आकाश सा
पंछियों के पद चिन्ह नहीँ छुटते
उड़ना ही पथ उनका
जहाँ को उड़े , वहीँ पथ खुल गया
जल में मछलियों की कोई तय राह नहीँ
जहाँ तैरने लगी वहीँ पथ
अन्याय नहीँ हुआ है
जीवन पथ की तय सड़क नहीँ
जीवन आकाश ही मिल गया है
जहाँ कोई पद चिन्ह नहीँ किसी का
अनुगमन - अनुसरण असम्भव सा
जीवन राह ना क़दम भर पीछे
ना दस क़दम आगे ही
पथ संग संग ही है बहता
चलना ही पथ का अस्तित्व
तुम जो आज हो वहीँ कल पथ था
तुम जो कल होंगे वहीँ आज पथ
और कल भी यहीँ हो
तो फिर बैठ गये होंगे
चलते तो कल यहाँ नहीँ होंगे
जीवन पथ आकाश है
और यह उपकार है
जीवन पथ चलते चलते बनता है
पथ बन जावें फिर चलना हो ...
तब विश्राम करो
फिर तृषित तुम पथिक नहीँ
यहीँ रूके रहो
चल कर देखो , पथ एक पग आगे बन रहा है
जीवन पथ आकाश है
उसे उड़ान चाहिये
उसका दर्शन असम्भव है
पर वह है ... चल कर देखिये !!!
---  सत्यजीत तृषित ।।।

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