अश्कों में मोहब्बत मेरे मेहबूब की बहती है , तृषित

अश्कों में मोहब्बत मेरे मेहबूब की बहती है
धड़कन मेरी साँसे ख़ुशबू उसकी होती है

हमने यादों के दरिया में
दिल की कश्ती चाँदनी संग गुजारी थी

आँसमा के दामन की सलवटें
अपनी आँखों में सजा ली थी

यें आँसमा भी थकता है
मोहब्बत में पिघल कर बहता है

कुछ सागर उछलता है
कुछ पानी हवा बनता है

मोहब्बत चीज़ है क्या
पानी भी जानता है

खुद खोकर ही कोई
मेहबूब के दामन में ठहरता है

मोहब्बत और नींद भी संग नहीँ होती
आँखों में मुलाक़ातों का फ़ितूर और यादों की मस्ती होती

फिर भी आशिक़ सोते है
फिर ज़माना मरता है
फिर लोग रोते है
जब कोई दिल से हँसता है

बन्दग़ी आती नहीँ जिनको
सुनना दिल को जगा कर के
मोहब्बत होती नहीँ हर किसी है
तब आशिको के मनसूबे
न तोडना दुनिया रे !
दिलवालों की सुनने वालों की
ख़ुदा से कहीँ तो मुलाक़ात होती है

किसी की मोहब्बत में ख़ुदा होता है
किसी की ख़ुदा में मोहब्बत भी होती है

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