संन्यास अर्थात् तुम शेष , तुम विशेष -- तृषित

धोती कुर्ता
पाजामा
कम्बल
चादर
तकिया
गद्दा
छाता
खाना
पीना
और सब कुछ !!
हाँ , सब कुछ !!
पर सब कुछ तुम हो ,
मेरे सब कुछ तुम हो ,
यह कहा था ,
अब सब तुम ही !!
मेरा संसार तुम हो !
मेरे संसार में तुम हो!
संन्यास अर्थात् तुम शेष , तुम ही विशेष !
मैं भी नहीँ !!
संसार शेष , मैं विशेष और तुम अवशेष
यह संन्यास कहाँ  ??
जीवन रहते तुम ही रह जाओ
तब वह संन्यास है
और वहीँ प्रेमरस
वहीँ स्वबोध !!!
-- सत्यजीत तृषित

Comments

Popular posts from this blog

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

श्रित कमला कुच मण्डल ऐ , तृषित

श्री राधा परिचय