उनसे कोई बात कहिये ही मत । बस इतना सीख जाइये । खूब मिलिये । खूब उनका संग कीजिये । पर हाल चाल मत कहिये । सब शिकायत करते कि वह सुनते क्यों नहीँ । हम कहते है आप उन्हें कहते ही क्यों ...
संसारी और भक्त में इतना ही फर्क है कि संसारी बेचारे युगल प्यारे प्रिया लाल को भी घाव , दर्द परोस देते है । और भक्त को घाव और दर्द आभूषण लगते है , वह कभी उन्हें पीड़ावत अनुभव ही नही...
नाराज हो गए वह ... अब मनाना उन्हें ... उनकी नाराजगी बस इतनी सी है कि आप मान जायें कि वह नाराज हो गए । वस्तुतः वह नाराज होते ही नहीँ , कभी सम्भव ही नहीँ कि वह हृदय से रूठ सकें । बस अभिनय म...
श्री राधा जी को माता की सीख श्री बृषभानु दुलारी और माता कीर्ती जी की लाडिली श्री राधा यद्यपि अभी बालिका ही है,किंतु माता कीर्ती जी के दृष्टिकोण से उनकी वय-संधि अवस्था आ गई ह...
प्रेमी वह नहीँ जो भगवान के लिये जगता हो । प्रेमी वह है जो भगवान के लिये सोता हो । जिसका विश्राम श्री प्रभु का सुख हो । जिसकी निद्रा से प्रभु को सुख हो । जिसके स्वप्न में प्रभु ह...
जैसै गुड़ की मक्खी होती है न वो बेचारी उसका रस लेने जाती है और उसके नन्हे पैर गुड़ में चिपक जाते हैं फिर वह हिल डुल भी नहीं पाती , वैसे ही हमारे प्यारे श्यामसुन्दर के कमल लो...
श्री युगल से कुछ मत चाहिये । कुछ भी नहीँ , फिर भी कहे वें तो उनसे उनके निज धाम के रसिकों की सीत प्रसादी , श्री रसिक किंकरी प्रसादी का विनय कीजिये । कुछ भी नहीँ माँगिये क्योंकि लो...
श्री वृन्दावन है त्याग की वह धरा जहाँ प्रभु भी प्रभुता त्यागे बिन प्रवेश नहीँ कर सकते । और प्रिया जु के रसिक नागर प्रिया जु का संग कभी तज नहीँ सकते तो वास्तविक प्रभु वह प्रे...
अप्राप्त का त्याग कीजिये सर्वस्व प्राप्त का ही नहीँ , सर्वस्व अप्राप्त ऐश्वर्य का भी प्रेमी स्वतः त्याग कर देता है । कौनसा त्रिभुवन प्रेमी का साम्राज्य है ? परन्तु प्रेम ...
जय जय आपको जो व्यक्ति मिला है, वह विश्वास करने के लिये नहीं, सेवा करने के लिये मिला है। आपको जो वस्तुएँ मिली हैं, वे संग्रह करने के लिये अथवा विश्वास करने के लिये नहीं, सदुपयोग ...
प्रेम और मोक्ष में आमतौर पर प्रेम में मोक्ष के त्याग को प्रेम कहा है । मोक्ष क्या है ? यह जानना जरूरी है । मोक्ष अवस्था है जो तुम स्व बुद्धि से नहीँ हो सकते ... भगवत धाम में । अर्था...
रस वर्द्धक प्रश्न जिससे कही रस को अवसर हो यहीँ जीवन है ... निजता की तृषा यहाँ तृषित नहीँ ... ऐसे प्रश्न करते रहिये । यही रस प्रदाता हो जाते है । स्व हेतु मेरे पास रस अधिकार नहीँ , तत्...
क्या संप्रयोग एवं विप्रयोग का संमिश्रण पिपासा रस है ? जी । पिपासा , व्याकुलता , वास्तविक व्याकुलता रकार का अग्नि तत्व है अकार व्यापक प्रकाश म् कार चन्द्र की शीतलता । प्रका...