*ठाकुर जी का अतिनेह* अनेको चरित्र है ऐसे कि श्रीविग्रह ठाकुर प्रकट है , वह जीते है भक्त की सेवा भावना को । अनेको चरित्र ... शहद पास रखा हो जगा कर कहते है , मुझे चींटियाँ खा रही इसे हटाओ न । एक भक्त निवाई के श्री सन्तदास जी जगन्नाथ का छप्पन भोग देख आये , मन हुआ मैं भी ऐसी सेवा करूँ . कैसे तैसे वह सब तैयार हुआ , हुई सेवा । लो बिन बुलाये जगन्नाथ जी भी आ गए , और जम के पाये । बल्कि कहे कल और 56 भोग । अब कैसे तैसे एक दिन की फिर कैसे ?? पर भक्त जी दुगने उत्साह से तैयार अब , क्योंकि जै जै को रस मिल रहा , उन्हें भाया यह पता चलते ही अनन्त शक्ति समा गई जैसे । फिर कहे कल भी ... !! नित्य यही ... ! भक्त श्री सन्तदास जी असमर्थ लगे तो कहे पूरी के राजा साहब को स्वप्न में कि अभी यहाँ हूँ निवाई ,और यहाँ 56 भोग की व्यवस्था कराओ न , होने लगे नित्य 56 भोग । भक्त और भगवान की लीला चलती रही कब तक , वही जाने । रोनाल्ड निक्सन (श्रीकृष्णप्रेम) अनेक भक्तों संग श्री विग्रह संग अनेकों अनुभूतियाँ इन्हे भी हुई । बहुतों को होती ही है बस मन रम जावें । पर इस बार जो हुआ वह तो .. एक दिन सोते समय श्रीकृष्णप...