अजीब सानेहा मुझपर , तृषित
हाल ए इश्क़
अजीब सा हाल रूहानी मोहब्बत वालों का ।।
जो जीने लगे अपने पिया को वह खुद को भी भूलने लगता है , आईने में भी उसे दरकार अपनी मोहब्बत से मुलाक़ात की होती है ।
उसमें कोई और जीने लगता है और वो किसी में सो अपना अक्स भी अपरिचित हो जाता है ।
अजीब सानेहा मुझपर गुज़र गया यारो
मैं अपने साये से कल रात डर गया यारो
तमाम तमन्नायें प्रेम में धूँधली होती जाती है , जहाँ भाग दौड़ ज़रूरत थी सब फ़िज़ूल हो जाती है ।
हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़ख्म मेरे दिल का भर गया यारो
यूँ दर्द किसे नहीँ , तकलीफों की दराज़े कहाँ नहीँ , दुःख स किसका वास्ता नहीँ
पर आशिक़ उसके हर ज़ख्म अब भर गए
... हर एक ज़ख्म मेरे दिल का भर गया , यारों
उसकी रूहानी दुनियां में रंग ही रंग , रस ही रस है ।
सदियो से भटकती चेतना , यें रूह , जिसे सुकूँ नही मिल रहा , जैसे कश्ती किनारा भटक गई हो पतवार पर पतवार दे कर कश्ती चल तो रही हो पर किनारे से दूर हो रही हो , ऐसा सबका हाल इस दुनियां में ,
बस प्रेमी ही पहुँच पाता है । उसकी ही चाहत पूरी हुई , उसे सुकूँ है अपने रब को पाकर ।
जो दिल में अरमानों का , हसरतों का दरिया था वो उतर जाता है सच्चे प्रेमियों के भीतर । उनके भीतर तो संसार को पकड़ने नहीँ , अपने पिया संग उसके कदमों में ही सिमटने की हसरत होती है जो सदियों की प्यास सच्चा रूप लेकर पिया से मिलती है तो सारा भटकना छुट जाता है ।
..भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतर गया यारो
सच्चा प्रेमी अपने पिया में जीने लगता है , उसका स्वत्व खो जाता है , स्वयं की कोई आवश्यकता नही रहती , उसे तलब होती प्रेम की , पिया हेतु कुछ हो जाने की । जगत के लिये ऐसे प्रेमी बेकार है जिनमें स्वार्थ नहीं , जगत आज उसे मरा ही कहता है जो ज़िंदा तो है पर खुद से उसका वास्ता नही । दुनियां क्या जाने किसी में होकर , किसी को जीना क्या है ? सो जब जब प्रेमी खुद के लिये सुनता है , अरे .. मर गए क्या ? कौन हो ? क्या हो खबर है कुछ ... आदि-आदि ... उसे तो वास्ता ही नहीँ अब ख़ुद से ना दुनियां से । वो किसी और दुनियां में जी रहा है , किसी और में सो कहता है ...
वो कौन था, वो कहाँ का था, क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो
अजीब सानेहा मुझपर गुज़र गया यारो
मैं अपने साये से कल रात डर गया यारो
हर एक नक़्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़ख्म मेरे दिल का भर गया यारो
भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दरिया उतर गया यारो
वो कौन था, वो कहाँ का था, क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख़्स मर गया यारो
https://youtu.be/cEuT3w-L76U
तृषित ।
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