अपना अवलोकन करते रहना है , कही अभिनय तो नही हो रहा , अध्यात्म -भक्ति-प्रेम का ।
क्या वास्तव में हम पथिक सत्यपथ के अथवा केवल टहलते-टहलते आये पथ के बाहर खड़े दर्शक ।
लगता तो है पथिक ही नही , पहुँच चुके ही है ।
अगर आत्म अवलोकन हो तो सत्य छिपेगा नही ।
सत्य कहे तुम पथिक नहीँ , बस जानकारियां एकत्र कर रहे हो । धर्म
Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम
Ishq ke saat mukaam hote hain 1. Dilkashi (चाहत) 2. Unss (स्पंदन) 3. Mohabbat (अनुराग) 4. Aqeedat (श्रद्धा) 5. Ibaadat (उपासना) 6. Junoon (पागलपन) –Aur abb hum aakhiri pe hai ?– 7. Maut… निगाहें ठहरी जो मीठी मीठी होने लगी उनसे दिलकशी चाहतें दिल अटकी जो हुई यही बस एक असरे दिलकशी दिलोदि...
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