Bate

[8:48pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: आज करीब अरसे बाद राम की
करुणा पर लिखा ! बिते दो घंटे
... परन्तु फोन बन्द हो गया |
सब गया ... शायद उसे शेयर ना
होना था | पर मुझे  कुछ सहज लग
रहा है अब |
भगवान राम पर कोई विचार हो ...
संदेह हो ? शंका हो ? भाव ना बन
रहे हो ? कोई कढी समझ ना आ रही
हो व्यक्तिगत बात कर लें |
राम को समझना ज्ञान का नहीं करुणा
का विषय है ...
अक्सर कहा जाता है कि हम समझे
क्युं ?
उन्हें समझे ताकि आक्षेप ना कर सके
ना सह सके |
जब कोई दोष हो तो व्यक्ति हर दोष
के लिये कहता है राम ने भी पाप तो
किया छल किया ! उसके चित् में
राम की वो एक ना समझी पहेली है
समझता तो ना कहता |
एक कडी ही बन जाती है अपराधों
की पर व्यक्ति प्रतिक्रिया राम की ही
चाहता है ...
[8:56pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: राम के भीतर केवल करुणा के कुछ नहीं ...
राम की पूर्णता में नहीं प्रारम्भ में
ही करुणा है ...
राम जो भीतर की वाणी कह ना पायें वही कृष्ण रुप में जीवंत हुआ
[8:59pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: संसार में दो ही शक्तियाँ आप को
राम का स्पष्ट दर्शन करा सकती है
एक हनुमान जी !
और दूसरा नाम ...
!! राधा जु !!
[9:01pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: जो राम को नहीं समझता
स्वयं को नहीं समझ सकता ...
[10:32pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: माँ को समझो ...
भगवान समझ आयेगें !
माँ सदा सही है ...
तब भी जब चांटा मारा ...
माँ चाहती तो है सदा गोद से
ना उतरे ...
पर बच्चा बडा होता जाता है
आप तीस साल बाद कहो माँ
की गोद में लेटोगें ... मज़ाक लगेगा
माँ सदा तैयार है ...
वो वापस आपको गोद नहीं भर
सकती लाड नहीं कर सकती ...
अब यहाँ माँ की जगह प्रभु को रखो
[10:47pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: प्रेम होता क्या है ?
लाख कहो पर कोई समझ सकता

किसी से भी पुछो प्रभु से प्रेम है
कहेगा है ?
वरना अभिव्यक्त करेगा कि है ... ना
मैं भी हाँ दिखा देगा |
दर्शन कर कोई रो दें तो लगा है
प्रेम ...
रोया क्युं मुख्य यें है ...
पहले आंसु प्रायश्चित् के होते है
लोग वहीं रुक जाते है ...
अपने लिये ... अपने पाप ! अपनी
असमर्थता पर | प्रभु की करुणा
प्रभु की सरलता पर नहीं ...
युं ना रोयेगा कि हाय ! कब से खडे
हो , पैर दुखते नहीं आपके ... पैर
दबा दूं ... थोडे !
कहोगें यें तो भगवान है इन्हें नहीं दुखता ... दुखता है ... यें साकार है
निराकार नहीं ... मुर्ख नहीं जो इतनी
भाव सेवा दे रहे है ...
जिसे दुखता नहीं तो उसके सामने
अपने दुखडे रो क्युं रहे हो ...

समझो उन्हें उनका कष्ट ! कष्ट मिला
तो प्रेम ! माँ के लिये सदा बालक
को पीडा ही होती है ... बच्चा खेल
कर भी लौटे तो कहेगी थक गया बैठ
जा ! तकलीफ़ नही पर माँ के भाव
के सजग रहे प्रति पल ! भुख नहीं
तो कहेगी कब से भुखे हो खा लो कुछ ...
वो अपने दिल की कहे तब रोना आये
समझना प्रेम अब हुआ वो भी मुझे नहीं उनको हुआ ...
बनावट हटा दो ... उन्हें जीओ ...
[11:03pm, 13/05/2015] Satyajeet Bhawan: जिस भक्ति में माया हो वहाँ भक्ति नहीं
भक्ति वरद हस्त है ...
उन्होंनें जिसे छुआ वो उनसा होगा .
माया का असर उल्टा होगा ... माया
का कार्य है संसार स्थिति कारिणा
यानि संसार की स्थिति और कारण
बना रहे ...
आप से प्रभु मिलेंगें पहले माया मिलेंगी
कहेगी पर्दा हट रहा है ...
सब साफ होगा पर संसार की स्थिति
कारण ना बिगाडना ...
जिससे संसार की स्थिति कारण ना
बिगडे वहाँ माया नतमस्तक है ...
माया ही प्रभु से जोडती है ... जब
माया प्रभु से जोडे तो उसके स्वरुप
को हम करुणा - भक्ति कहते है ...
माया आपके हेतु विपरित हो जायेगी .
पर वो दशा असहज है ... घटी तो
सांसे केवल बोझ है ... और कुछ नहीं ...
विस्तार से कल ...

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