मेरी हदें
मेरी हदे अब कहाँ रही मेरी
मेरी ज़िन्दग़ी अब कहाँ मेरी
मेरी गलियाँ अब कहाँ मेरी
मेरी ख्वाहिशें अब कहाँ मेरी
यें लफ़्ज तेरे और नज़रे कहाँ मेरी
यें हरक़ते अज़नबी सी कहाँ मेरी
तलाश ना कर ऐ फ़िज़ा मेरी
अब और ज़रुरत कहाँ है मेरी
फक़त हादसा था पर सुखी महफिले मेरी
तृषित कह दे अब कुछ नहीं हैसियत मेरी
सत्यजीत "तृषित"
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