सुक्ष्म स्वरुप

सारा जगत् ईश्वर के विराटम् स्वरुप
की चाहत में लगा है |
विराट की विराटता हेतु अपनी सुक्ष्मता
से परिचय हो |
जो तत्व जितना विराट होगा उतना ही
सुक्ष्म भी ... प्रभु की विराटता कही
ना सकती है तो सुक्ष्मता भी नहीं कही
जा सकती |
आत्मा प्रोटॉन न्युट्रान इलेक्ट्रान से
भी सुक्ष्म है तो परमात्मा इससे भी
विरल ...
एक रेत के कण के लाख खण्ड भी
हो तो प्रत्येक ईश्वर ही है ...
जिसका बिखरना ना रुके
जिसका समेटना ना रुके
वहीं प्रभु है ... सत्यजीत "तृषित"

Comments

Popular posts from this blog

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

श्रित कमला कुच मण्डल ऐ , तृषित

श्री राधा परिचय