स्प्रिंग
भग्वत प्राप्ति की ईच्छा की भी
आवश्यकता नहीं है |
भगवान मिले हुये ही है ... बस जानना
भर है ... कृपा से ज्ञात होगा !! कैसे
स्प्रिंग को खेचने में ऊर्जा लगती है
हम परमात्मा से जितना टुटेगे वहा
ऊर्जा की खपत है ..
स्प्रिंग को पुन: यथावत होने के लिये
प्रयास नहीं करना होता ...
वो अपनी स्थिति जानती है ...
आत्मा का एक ही धर्म-कर्म है परमात्मा
में होना ...
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