रोज सोचती हूं

रोज सोचती हूं
पीया से आज
कुछ ना कहूंगी
चूप होकर देखती रहूंगी
पर हर बार
मुझमें से ही वो
ना जाने क्या-क्या
कह जाते है .. तृषित

Comments

Popular posts from this blog

Ishq ke saat mukaam इश्क के 7 मुक़ाम

श्रित कमला कुच मण्डल ऐ , तृषित

श्री राधा परिचय