इच्छा शक्ति की अवस्था से पता चलेगा । अध्यात्म में हम कहां ... ?? तृषित

इच्छा शक्ति की अवस्था से पता चलेगा । अध्यात्म में हम कहां ... ??
इच्छा शक्ति को मुक्त करते ही वह प्रीति होगी । उससे पूर्व जीव कामना के वशीभूत , ईश्वर भाव अनुरूप कामना की पूर्ति रूप जगत रूप प्राप्त । जगत से जगतपति की यात्रा जब होगी जब इच्छा स्वयं में स्वयं की ना हो । फिर वही इच्छा शक्ति विशुद्ध प्रीति रूप होगी , सम्पूर्ण कामना शुद्धि से । कामना जहां वहाँ अध्यात्म नहीँ । प्रीति जहाँ वहाँ भी अध्यात्म नहीँ ... वहाँ अध्यात्म विकसित हो भाव राज्य है । जागृत प्रीति है तो लीला प्रकट है ।

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