गोपी , मंजरी , किंकरी , सहचरी ... तृषित

गोपी - कृष्ण प्रेम लोलुप्त

नित्य रस में ...

मंजरी - युगल नित्य सेविका , राधा अनुसरण केवलं । राधा सुख प्रकाशिनि । त्याग की विकसित स्थिति ।

किंकरी - युगल सेवा विवश किंकरी नित सेविका । सेवा की विकसित स्थिति ।

सहचरी - युगल सुख छवि । युगल की परस्पर प्रियता का अखंड अनन्त सुख । प्रेम की विकसित स्थिति ।

श्री हरिदास । तृषित ।

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