मोहे बिसार दीजो नाथ , तृषित

मोहे बिसार दीजो नाथ ।

जिन जन्म मरण में पल हूँ को सँग छुट्यो तोह सँग ... मोहे बिसार दीजो हे प्राण ... !!

जिन प्राणन सँग तेरो राग न अटक्यो पुनि पुनि भव चाकी डालियो हे नाथ ... !!

मोहे न छुज्यों प्राणन मोरे , जबहि एक तोह सँग हूँ नाता ज्यों न मैं कबहुँ राख्यो ... !!

कबहुँ तो मोहे बिसार दीजो , जो न जानो बिसारन मोह सुं ही सीख साँची बिसार दीजो ... !!
-- तृषित

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