अभिव्यक्ति , तृषित

अभिव्यक्ति !
भाव अभिव्यक्ति को अनर्थ माना जाता है , क्यों ?
क्योंकि वह संसार चाहने लगती है ।
अभिव्यक्ति ,  घूँघट में से हो ।
और उसमें अभिव्यक्त संवाद नव वधु के संवाद सा नित्य हृदय में द्रवीभूत स्थिति देता हो ।
अपनी ही अभिव्यक्ति से अपने ही व्रत खंडन सा आभास रहें , और अभिव्यक्ति अपने प्रभु के प्रति संवाद हो ।
सबसे गहरी बात अभिव्यक्ति से रचनाकार को प्रेम होता है परन्तु रस पथिक अभिव्यक्ति से नहीँ अनुभूति जो कि अव्यक्त स्थिति है ... अनुभूति से सम्बन्ध रखें तो अभिव्यक्ति कुछ हद तक भाव पथिक का अनर्थ नहीँ होने देती ।
वरन अभिव्यक्ति एक आर्ट गैलरी मात्र रह जाती है ... जहाँ भावनाओ की बोलियां लगती है ।
तृषित

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