शुक्रिया सेल्फी , तृषित

शुक्रिया सेल्फी !!

कुछ समय पूर्व सब हार गए थे ।
अब हर जगह सेल्फी लेते सब जी रहे है ...
मरघट से ... मंदिर तक
सर्वत्र छा गई है सेल्फी ।।
मुर्दे के संग हो ...
या दुल्हन खुद ले रही हो !!
छा गई है सेल्फी ।।
मंदिरों की होली में जब प्रभु थक कर लौट गए
तब जम कर रँग बरसा ... सेल्फी का !!

अब सुखी नदी ... तालाब सब को दुःख देती है
काश पानी बहता तो सेल्फी का मज़ा आ जाता ।

शुक्रिया सेल्फी तूने मुर्दों में जीवन भर दिया

श्रृंगार से पहले कह दिया करे हम
बहुत सुंदर ...
तो पहले सेल्फी लाइक हमारा हो ...

कभी-कभी देखता हूँ
बहुत सी सेल्फी ...
सब अजनबी ...
कोई देखता नहीँ किसी को ।
फिर सब लाइक करते ... सब सेल्फी !!

एक दौर था ... होली का हाल छिपाने का ।
अब मौका है अपना हर हाल कैद कर लेने का ...

वाह वाह सेल्फी ।
तूने रग सही सही नापी ... इंसानों की ...
--- तृषित ।

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